Wednesday, 20 December 2023

जीवन परिचय श्री 108 संत स्वामी वीर सिंह हितकारी जी महाराज

 श्री 108 संत स्वामी वीर सिंह  हितकारी जी महाराज

श्री 108 संत स्वामी हितकारी जी महाराज, सतगुरु रविदास महाराज जी के चरणों में नतमस्तक होते हुए



श्री गुरु रविदास आश्रम, गांव रंगपुर के संस्थापक स्वामी वीर सिंह हितकारी महाराज जी का जन्म 5 अगस्त 1970 को गांव रंगपुर जिला बुलंदशहर उत्तर प्रदेश में हुआ । आज भी स्वामी जी अपने परिवार के साथ इसी गांव में बहुत ही सादा और सरल जीवन जीते हैं । स्वामी जी के परिवार में दादा जी और दादी जी और माता -पिता सभी गुरुगुमुखी थे । जिसके कारण स्वामी जी का बचपन संतों की सेवा से ही शुरू हुआ और 7 साल की उम्र में ही ब्रम्हली स्वामी स्नेह दास महाराज जी से नाम दान की शिक्षा ली । 

सभी माता -पिता की तरह स्वामी जी के माता -पिता भी स्वामी जी को पढ़ा लिखा कर सरकारी नौकरी में उच्च पद पर देखना चाहते थे । परंतु स्वामी जी का ध्यान हमेशा ही संतों की सेवा और ध्यान साधना में रहता था । इसी कारण 14 साल की उम्र में ही ब्रम्हली गुरु स्वामी स्नेह दास महाराज जी ने स्वामी जी का समर्पित और वैराग्य भाव को देखकर उन्हें साधू चोला दे दिया और स्वामी जी भी अपनी पढ़ाई छोड़ कर सन् 1985 से लेकर 1989 तक लगातार तप, साधना और गुरु रविदास महाराज जी की वाणी का अध्यन करते रहे । 

इसके बाद उनके माता -पिता ने उनकी शादी कर दी थी । महाराज जी की पत्नी का नाम श्री मति लज्जा देवी है । 

स्वामी जी ने जो तप, साधना और गुरु रविदास महाराज जी की अमृतमृवाणी का अध्ययन किया था उसी को लेकर सन 1990 में स्वामी जी गुरु रविदास महाराज जी की पावन पवित्र अमृतवाणी का प्रचार करने के लिए निकल पड़े । उसी समय से आज तक स्वामी जी ने पीछे नहीं देखा और आज तक निरन्तर प्रचार कर रहे हैं और अपने जीवन को बहुजन समाज के लिए समर्पित कर दिया है । भारत के बहुत से राज्य और यूरोप के देशों में गुरु रविदास महाराज जी की अमृतवाणी के प्रचार के लिए कार्यक्रम कर चुके हैं । 

सन 1990 में ही उत्तर प्रदेश आगरा में एक दिन स्वामी वीर सिंह हितकारी जी महाराज कौम के अमर शहीद संत रामा नंद जी महाराज जी से मिले । रामानंद महाराज जी स्वामी जी से बहुत प्रभावित हुए । उनसे जुड़जुने के बाद लगातार 19 साल स्वामी जी ने अमर शहीद संत रामानंद जी महाराज के साथ काम किया । 





आज स्वामी जी को मुक्मुत कंठ से जगतगुरुगु सतगुरुगु रविदास महाराज जी की अमृतवाणी का प्रचार करने के लिए जाना जाता है । 

वर्तमान में स्वामी जी अखिल भारतीय रविदासिया धर्म संघठन, सीर गोवर्धन पुर वाराणसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता, श्री गुरु रविदास विश्राम धाम मंदिर चमार वाला जोहड़, तुगतुलका बाद नई दिल्ली जो की भारत सरकार द्वारा पंजीकृत सस्थान है, में प्रधान पद पर है । भारत की सर्वधर्म संसद, नई दिल्ली जो सभी धर्मों का एक अंतरराष्ट्री संगठन है के नियमित सदस्य हैं और श्री गुरु रविदास आश्रम, गांव रंगपुर के संस्थापक स्वामी जी रविदासिया धर्म की तरफ से मजबूती से समाज का पक्ष रखते हैं । 

 

स्वामी जी ने हमेशा ही अपनी बात को मजबूती व स्पष्टता के साथ रखा है चाहे वह माननीय प्रधानमंत्री के साथ बात करना हो या फिर अन्य धर्म के मंचों पर रविदासिया धर्म की बात रखना हो । 

आज स्वामी जी पुजनीय श्री 108 संत निरंजन दास महाराज जी के आशीर्वाद से पूरे भारतवर्ष में श्री गुरु रविदास महाराज जी की पावन अमृतमृवाणी का प्रचार प्रसार कर रहे हैं । सन् 2021 में स्वामी जी की मुलाकात, श्री मान केशव ढांडा, अध्यक्ष ग्लोबल रविदासिया वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन यूरोप से हुई । ढांडा जी भी स्वामी जी के जीवन से प्रभावित हुए और उन्हें यूरोप आ कर श्री गुरु रविदास महाराज जी की अमृतवाणी का प्रचार करने कहा और इस प्रकार स्वामी जी यूरोप के बहुत से देशों में पावन अमृतवाणी का प्रचार कर चुके हैं । वर्तमान समय में स्वामी जी पूरे विश्व में अमृतवाणी का प्रचार कर रहें है ।

स्वामी हितकारी जी महाराज, श्रीमान केशव ढ़ाडा, चेयरमैन ग्लोबल रविदासिया के साथ

श्री गुरु रविदासिया धर्म संगठन भारत के राष्ट्रीय प्रवक्ता गांव रंगपुर स्थित श्री गुरु रविदास आश्रम के संस्थापक स्वामी वीर सिंह हितकारी को प्रथम यूरोप यात्रा के दौरान ही श्री गुरु रविदास प्रचार सभा ने इटली के कार्मोना में गोल्ड मेडल से सम्मानित किया  । यह सम्मान उन्हें श्री गुरु रविदास प्रचार सभा कार्मोना के प्रधान श्री अश्विनी कुमार, कोषाध्यक्ष श्री विजय क्लियर, श्री खुशीराम सुमन और  केशव कुमार ढांडा, चेयरमैन ग्लोबल रविदासिया ने प्रदान किया

इन सभी चीजों के बावजूद आज भी स्वामी जी और उनका परिवार गांव में बहुत ही सादा और सरल जीवन जीते हैं । 

देश और दुनिया में जगतगुरुगु सतगुरुगु रविदास महाराज जी का प्रचार करने के बाद स्वामी जी भी जब गां व में आते हैं तो अपने परिवार के साथ मिलकर आज भी खे

ती के छोटे छोटे कार्य और पशुपालन कर अपने परिवार का जीवन यापन करते
 है । 

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